प्रमुख मानव अंतः स्त्रावी ग्रन्थियाँ (Important human endocrine glands)
(A) हाइपोथैलेमस (Hypothalamus) :
हाइपोथैलेमस डाइएनसीफेलॉन (अग्रमस्तिष्क) का आधार भाग है। मुख्य रूप से यह पीयूष ग्रन्थि (Pituitary Gland) द्वारा स्त्रावित हॉर्मोन के संश्लेषण व स्त्राव का नियंत्रण करता है। हाइपोथैलेमस में हामौन उत्पादन करने वाली कई स्त्रावी कोशिकाएं होती है। हाइपोथैलेमस दो प्रकार के हार्मोन का निर्माण करता है
(अ) मोचक हॉर्मोन (Releasing hormone)-
जो पीयूष ग्रन्थि को स्त्राव करने के लिए प्रेरित करते है। (ब) निरोधी हॉर्मोन (Inhibitory hormone)- जो पीयूष ग्रन्धि से हार्मोन स्त्राव को रोकते हैं।
(B) पीयूष ग्रन्थि (Pituitary gland)-
यह ग्रन्थि मस्तिष्क में नीचे की तरफ हाइपोथैलेमस के नजदीक पाई जाती है। पीयूष ग्रन्थि दो भागों में विभक्त होती है- एडिनो हाइपो फाइसिस (Adenohypophysis) और न्यूरोहाइपोफाइसिस (Neurohypophysis) एडिनो हाइपो फाइसिस को अग्र-पीयूष तथा न्यूरोहाइपोफाइसिस को पश्च पीयूष कहा जाता है। यह शरीर की मास्टर ग्रन्थि है जो कई हॉर्मोन का निर्माण व स्त्रावण करती है जैसे वृद्धि हॉमौन (सोमेटोट्रोपिन), प्रोलैक्टिन, थाइरॉइड प्रेरक हार्मोन, ऑक्सीटोसिन, वेसोप्रेसिन, गोनडोट्रोपिन इत्यादि।
(C) पिनियल ग्रन्थि (Pineal gland)
यह ग्रन्थि अग्र-मस्तिष्क के ऊपरी भाग में पाई जाती है तथा मेलेटोनिन नामक हॉर्मोन का स्त्रावण करती है। यह हार्मोन मुख्य रूप से शरीर की दैनिक लय के नियमन के लिए उत्तरदायी है।
(D) थाइराइड ग्रन्थि (Thyroid gland)
यह ग्रन्थि श्वासनली के दोनों ओर स्थित होती है। तथा मुख्य रूप से थाइरोक्सिन (Thyroxine) हॉर्मोन का निर्माण व स्त्रावण कर थोंइरोक्सिन हॉर्मोन आधारित उपापचयी क्रियाओं को नियंत्रित करती है। यह हॉर्मोन लाल रक्त कणिकाओं के निर्माण में मदद करता है साथ ही कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन व वसा के उपापचय को भी नियत्रित करता है। थाइरोक्सिन हॉर्मोन के निर्माण हेतु आयोडीन की आवश्यकता होती है। आयोडीन की कमी से थाइरोक्सिन हॉर्मोन का निर्माण कम होता है जिसके
परिणाम स्वरूप घेधा (Goiter) रोग उत्पन्न होता है।
(E) पैराथाइराइड ग्रन्थि (Parathyroid gland)
गले में थाइराइड ग्रन्थि के पीछे पाए जाने वाली यह ग्रन्थि पैराथार्मोन (Parathormone) स्त्रावित करती है। पैराथामौन का प्रमुख कार्य रूचिर में कैल्सियम तथा फास्फेट के स्तरों को नियंत्रित करना है। इस हार्मोन की कमी से टिटेनी रोग होता है।
(F) अग्न्याशय (Pancreas)
अग्न्याशय दो अंतस्त्रावी हॉर्मोन इन्सुलिन (Insulin)
तथा ग्लूकैगीन (Glucagan) स्त्रावित करता है। इन्सुलिन इस ग्रन्थि में पाए जाने वाले लैगरहेन्स द्वीप (Islets of langerhans) की ३ कोशिकाओं तथा ग्लूकैगॉन लैगरहन्स द्वीप की ही कोशिकाओं द्वारा स्त्रापित होता है। इन्सुलिन का प्रमुख कार्य शर्करा (ग्लूकोज) को ग्लाइकोजन में परिवर्तित कर रक्त शर्करा स्तर को नियंत्रित करना है। ग्लूकैगॉन इसके उल्ट ग्लाइकोजन के ग्लूकोज में अपघटन को प्रेरित करता है। अतः ये दोनों हॉर्मोन सम्मिलित रूप से रक्त में शर्करा के स्तर को नियंत्रित करते हैं। किसी कारणवश यदि रक्त में इंसुलिन की कमी हो जाए तो रक्त (तथा मूत्र) में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है तथा मधुमेह (Diabetes) नामक रोग उत्पन्न होता है।
(G) अधिवृक्क ग्रन्थि (Adrenal gland)
वृक्कों के ऊपरी भाग में एक जोडी अधिवृक्क ग्रन्थियाँ पाई जाती है। ये दो प्रकार के हॉर्मोन का स्त्राव करती है जिन्हें एड्रिनेलीन या एपिनेफ्रीन तथा नॉरएड्रिनेलीन या 5. नॉरएपिनेफीन कहा जाता है। ये हॉमौन शरीर को आपातकालीन स्थिति में सुरक्षित रखने का काम करते हैं। ऐसी स्थिति में ये हॉर्मोन अधिक तेजी से स्त्रावित होते हैं तथा अनेकों कार्य जैसे हृदय की घड़कन, हृदय संकुचन, श्वसन दर, पुतलियों 6. का फैलाव आदि को नियंत्रित करते हैं। इन हॉर्मोन का आपातकालीन होंमर्मोन (Emergency hormme) भी कहा जाता है।
(H) थाइमस ग्रन्थि (Thymus gland)
थाइमस हृदय तथा महाधमनी के ऊपरी भाग में स्थित होती है। यह थाइमोसिन नामक एक पेप्टाइड हॉर्मोन का स्त्राव करती है। यह ग्रन्थि छोटे बच्चों में सर्वाधिक विकसित होती है
परन्तु यौवनारंभ पश्चात् यह सिकुड़ जाती है।
(1) वृषण (Testes)
यह ग्रन्थि केवल नरों में पाई जाती है। यह एक लैंगिक अंग है जो टेस्टोस्टेरोन (Testosterone) नामक नर हॉर्मोन का स्त्रावण करता है। यह हॉर्मोन नर लैगिक अंगों का विकास तथा शुक्राणुओं के निर्माण की प्रक्रिया में प्रेरक भूमिका निभाता है।
(J) अंडाशय (Ovary)
मादाओं में पाए जाने वाली यह ग्रन्थि एस्ट्रोजन (Estro- gen) तथा प्रोजेस्टेरॉन (Progesterone) नामक स्टीराइड हॉर्मोन का स्त्रावण करता है। यह हॉर्मोन मादा लैंगिक अंगों का विकास, मादा लक्षणों का नियंत्रण, मासिक चक्र का नियंत्रण, गम्र अनुरक्षण आदि में सहायक होते हैं।
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